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________________ २४२ श्रवण बेल्गोल नगर में के शिलालेख वृन्द-शिति-केश-विलसिते चन्दव्वे विनूतेयादलखिलोवरेयोल ॥ ३६॥ तदनुजं ॥ हार-हरहास-हिम-रुचि तारगिरि-स्फटिक-शङ्ख-शुभ्राम्बुरुहक्षीर-सुर-सिन्धु-शारद नीरद-भासुर-यशोऽभिराम कामं ॥ ४० ॥ सिरिंग विष्णुगवेन्तु मुन्नवसमास्त्र पुट्टिदों शम्भुगं गिरिस जातेगवेन्तु षड्वदननादों पुत्रनन्तीगलीधरणी-विश्रुत-चन्द्रमौलि-विभुगं श्रीयाचियक्कङ्गवु डुर-तेजंगुणि सोमनुद्भविसिदं निस्सीम पुण्योदयं ॥४१॥ वर-लक्ष्मी-प्रिय-वल्लभ विजयकान्ताकर्नपूर विभा सुर-वाणी-हृदयाधिपं तुहिन-तार-क्षीर-वाराशि-पाण्डरकीर्तीशनुदन-दुर्द्धर तुरङ्गारूढ़-रेवन्तनुदुर-कान्ता-कमनीयकामनेसेदं श्री सोमनी धात्रियोल ॥४२॥ परमाराध्यननन्त सौख्य-निलय श्री-मजिनाधीश्वर गुरु-सैद्धान्तिक-चक्रवर्ति नयकीर्ति-ख्यात-योगीश्वरं । धरणी-विश्रुत-चन्द्रमौलि-सचिवं हृत्कान्तनेन्दन्दडा रेयीयाचलदेविगिन्दु विशदोद्यत्कीर्त्तिगी धात्रियोल।४३॥ भरदि बेलुगोल-तीर्थ-दाल जिन-पति-श्री-पार्श्व-देवोद्धमन्दिरमं माडिसिदल विनूत नयकीर्त्तिख्यात-योगीन्द्रभा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003151
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiralal Jain
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages662
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size21 MB
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