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विन्ध्यगिरि पर्वत पर के शिलालेख
१२३ (३७५)
चेन्नण्णन के
कुञ्ज
( लगभग शक सं० १५-८५ )
पुट्टसामि सट्टर श्री देवीरम्मन मग चेन्नण्णन मण्डूप प्रादि-तीर्त्तद कोलविदु हालु -गोलनोविदु अमूर्त-गोल नोविदु गङ्गे नदियो । तुङ्गबद्रियेोविदु मङ्गला गौरेया विदु रुन्दनवविदु सङ्गार-तोटा । अय प्रयिया अयि अयियेवले ती व ती जया जया जया जय ||
में एक चट्टान पर
[ यह पुट्टप्रामि और देवीरम्म के पुत्र चण्य का मण्डप और श्रादितीर्थ है। यह दुग्धकुण्ड है या कि अमृतकुण्ड ? यह गङ्गा नदी है या तुङ्गभद्रा या मङ्गलगौरी ? यह वृन्दावन है कि विहारोपवन ? ओहो ! क्या ही उत्तम तीर्थ है ? ]
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