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१४८ चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख
सा लक्ष्मीर्वस तिं गुणैक-वसति ातीतनन्नतनाम् ।। २ ॥ श्रीमूलसङ्घद देसिग गणद पुस्तकान्वय ॥
६४ (७०) कत्तले वस्ति की ऊपर की मञ्जिल में आदीश्वर
की मूर्ति के सिहपीठ पर
(लगभग शक सं० १०४०) भद्रमस्तु श्रीमूलसवाद देशिकगणद श्रोशुभचन्द्रसिद्धान्त-देवर गुड्डु दण्डनायक-ग(ङ्गर)य्यनु तम्म तायि पाचव्वेगे माडिसिदी बसदि मङ्गलं ।।
[ दण्डनायक गङ्गरय्य (या गङ्ग पय्य ) शुभचन्द्रसिद्धान्तदेव के शिष्य, ने यह बस्ती अपनी माता पोचब्बे के लिए निर्माण कराई। ( धागे का लेख देखो)]
६५ (७४) शासन बस्ति में आदीश्वर की मूर्ति
के सिंहपीठ पर
(लगभग शक सं० १०४०) आचार्यश्शुभचन्द्रदेवयतिपो राद्धान्त-रत्नाकरस्तातोऽसौ बुधमित्रनामगदितो माता च पोचाम्बिका। यस्यासी जिनधर्मनिर्मलरुचिश्श्रोगङ्गसेनापतिज्जैन मन्दिरमिन्दिराकुलगृहं सद्भक्तितोऽचीकरत् ॥ १ ॥
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