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चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख एबडुविनविल्दु सन्दु सवकट्टलिदल्लिगे नङ्कि बीरमचलिविनमामे तल्तिरिदु गेल्देवरातियनेन्दु पोचरिनुडिवलिगण्डरं नगुवुदोद्दजि मावनगन्धहस्तियं ।। अणुगिनाले राजचूड़ामणिमाग्नेंडे मलनीये गेल्वे लेपद बि
नण......... ( पश्चिममुख )
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.. ललागे कणे पारुवल्लि बित्तरिसुवुदरियेंगतियनें एनेनेगल्द पिट्टगं बीडिनसोचीरनो प्रचण्डभुजदण्डमावनगन्धहस्ति कविजनविनुतं मोनेमुट्टे गण्डनाहवसौण्ड बरेचित्रभानुसम्वत्सरमधिकाषाढ़बहुल दसमीदिनदोल्गुरुचरणमूलदोलसुभपरिणामदे पिट्टनिन्द्रलोककोगद॥
[यह लेख एक मावन गन्धहस्ति नामक वीर योधा की मृत्यु का स्मारक है। युद्ध में अद्वितीय वीरता के कारण इसे एक राजा राजचड़ामणि मागेडेमल्ल ने अपनी सेना का नायक बनाया था। चित्रभानु सम्वत्सर की भाषाढ़ वदि १० को इस वीर का प्राणान्त हुश्रा। यह लेख बहुत घिस गया है इससे पूरा पूरा नहीं पढ़ा गया। शक सं० १०४ चित्रभानु संवत्सर था । लेज की लिखावट से भी यह समय ठीक सिद्ध होता है।
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