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चन्द्रगिरि पर्वत पर के शिलालेख
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लेख में यह सम्वत् सिद्धार्थि सम्वत्सर कहा गया है पर मिलान करने से शक सं० १०४१ विकारी और शक सं० १०६१ सिद्धार्थो पाया जाता है । लेख में सम्वत् की भूल
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५२ (१४२ )
उसी मण्डप में द्वितीय स्तम्भ पर ( शक सं० १०४१ )
( पूर्व्वमुख )
श्रीमत्परमगम्भीर - स्याद्वादामोघलान्छनं । जीयाले क्यनाथस्य शासनं जिनशासनं ॥ १ ॥ स्वस्त्यनवरत प्रबल रिपुबल विष समरावनीमहामहारिसंहारकरणकारणप्रचण्डदण्डनायक मुखदर्पणकर्णे जप कुभृत्कुलिश जिनधर्म्महर्म्य माणिक्य कलश मलयजमिलितकास्मीर कालागरुधूपधूमध्यामलीकृत जिनानागार । निर्विकार मदनमनोहराकार | जिनगन्धोदकपवित्रीकृतोत्तमाङ्ग वीरलक्ष्मीभुजङ्गनाहाराभय भैषज्यशास्त्रदानविनोद जिनधर्मकथाकथनप्रमादनुमप्प श्रीमतुबलदेवदण्डनायकनगर्द ||
स्थिरने बापमराद्रियिन्दवधिकं गम्भीरने बाप्पु सागरदिन्दग्गलमेन्तु दानिये सुरोवजक्के मारण्डलम् । सुरराजङ्गे येन्दु कीर्त्तिपुदुक्य कोण्डकरि सन्ततं धरेयेल्लं बलदेवमात्यन निला लो कैक विख्यातनं ॥ २ ॥ बलदेव दण्डनायकनलङ्घ्यभुजबलपराक्रमं मनुचरितं ।
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