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| " ११०२ ,, ११०३
माघनन्दि )
भट्टारक ७५ पमनान्ददेव
मत्रवादि ७६) नेमिचन्द्रपं०
देव
१२४ ४२६ ४६४
११०४ अ०१११८
३२५
३२८)
१२८ ८१
" ११२० |" ११२८ अ०११५३
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( १५७ )
७७ लक्खनन्दि मुनि
देवकीत्ति मुनि बड़े भारी कवि, तार्किक
और वक्ता थे । उक्त तिथि को उनका स्वर्ग७८ माधवचन्द्र देवकीति म०म० x ३६ द्रती
१०१२वास होने पर उक्त शिष्यों ने उनकी ७६ त्रिभुवनमल
निषद्या बनवाई। योगी । ८० मेघचन्द्र भालचंद्र अध्यात्मी मू० दे० पु. ४६६ ११०८ इनके एक शिष्य रामदेव विभ्र ने जिनालय ८१ नयकीति देव (हिरिय) नय- ४ ४७५ अ०१११७ बनवाया व दान दिया।
कीत्ति देव २२ धनकीति देव x ४ २४३ १०१११२
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