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परिणामि नित्य
निमित्त से होने वाली मौत की व्याख्या बहुत सरल है। शारीरिक और मानसिक क्षति से होने वाली मौत की व्याख्या उससे कठिन है। किन्तु पूर्ण स्वस्थ दशा में होने वाली मौत की व्याख्या वैज्ञानिक या अतीन्द्रिय ज्ञान के स्तर पर ही की जा सकती है। __कुछ दार्शनिक सृष्टि की व्याख्या ईश्वरीय रचना के आधार पर करते हैं। किन्तु जैन दर्शन उसकी व्याख्या जीवन और पद्ल के स्वाभाविक परिणमन के आधार पर करता है। सृजन, विकास या प्रलय-जो कुछ भी घटित होता है, वह जीव और पुद्गल की पारस्परिक प्रतिक्रियाओं से घटित होता है। काल दोनों का साथ देता ही है। व्यक्त घटनाओं में बाहरी निमित्त भी अपना योग देते हैं। सृष्टि का अव्यक्त और व्यक्त–समग्र परिवर्तन उसके अपने अस्तित्व में स्वयं सन्निहित है।
परिणमन सामुदायिक और वैयक्तिक-दोनों स्तर पर होता है । पानी में चीनी घोली और वह मीठा हो गया। यह सामुदायिक परिवर्तन है। आकाश में बादल मंडराए और एक विशेष अवस्था का निर्माण हो गया। भिन्न-भिन्न परमाणु-स्कंध मिले और बादल बन गया। कुछ परिणमन द्रव्य के अपने अस्तित्व में ही होते हैं। अस्तित्वगत जितने परिणमन होते हैं, वे सब वैयक्तिक होते हैं, पांच अस्तिकाय (अस्तित्व) हैं। धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय में स्वाभाविक परिवर्तन ही होता है । जीव और पुद्गल में स्वाभाविक और प्रायोगिक-दोनों प्रकार के परिवर्तन होते हैं। इनका स्वाभाविक परिवर्तन वैयक्तिक ही होता है। किन्तु प्रयोगिक परिवर्तन सामुदायिक भी होता है। जितना स्थूल जगत् है वह सब इन दो द्रव्यों के सामुदायिक परिवर्तन द्वारा ही निर्मित है। जो कुछ दृश्य है, उसे जीवों ने अपने शरीर के रूप में रूपायित किया है। इसे इन शब्दों में भी प्रस्तुत किया जा सकता है कि हम जो कछ देख रहे हैं वह या तो जीवच्छरीर हैं या जीवों द्वारा व्यक्त शरीर है। ___ प्रत्येक अस्तित्व का प्रचय (काय, प्रदेश राशि) होता है। पुद्गल को छोड़कर शेष चार अस्तित्वों का प्रचय स्वभावत: अविभक्त है । उसमें संघटन और विघटन-ये दोनों घटित होते हैं । एक परमाणु का दूसरे परमाणुओं के साथ योग होने पर स्कन्ध के रूप में रूपान्तरण हो जाता है और उस स्कन्ध के सारे परमाणु वियुक्त होकर केवल परमाणु रह जाते हैं। वास्तविक अर्थ में सामुदायिक परिणमन पुद्गल में ही होता है । दृश्य अस्तित्व केवल पुद्गल ही होता है । जगत् के नानारूप उसी के माध्यम से निर्मित होते हैं । यह जगत् एक रंगमंच है। उस पर कोई अभिनय कर रहा है तो
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