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________________ अनुप्रेक्षा और स्वास्थ्य १२१ अध्यात्म और स्वास्थ्य का सूत्र ___इस सारे विश्लेषण के संदर्भ में अनुप्रेक्षा का मूल्यांकन करें तो अध्यात्म की दृष्टि से कहा जा सकता है- ये अनुप्रेक्षाएं भावात्मक परिर्वतन के सूत्र हैं । स्वास्थ्य की दृष्टि से विचार करें तो कहा जा सकता है-ये अनुप्रेक्षाएं स्वास्थ्य के अमोघ उपाय हैं । कषाय का उपशमन केवल अध्यात्म का ही नहीं, स्वास्थ्य का भी मूल-मंत्र है । यह कभी नहीं सोचा जा सकता- जो व्यक्ति तीव्र कषाय वाला है, वह शारीरिक, मानसिक और भावात्मक-तीनों स्तरों पर स्वस्थ रहेगा । जहां कषाय प्रबल हैं, वहां स्वास्थ्य निश्चित प्रभावित होगा । स्वास्थ्य का एक कारण है रक्ताभिसरण की क्रिया । हर कोशिका को ऑक्सीजन चाहिए | ऑक्सीजन का वाहक कौन है ? उसका वाहक है रक्त । सारे शरीर में रक्त सम्यक् प्रवाहित होता है तो कोशिकाओं को नवजीवन मिलता है । खुराक और ऑक्सीजन मिलता है । इसके बिना कोशिकाएं बिलकुल निकम्मी बन जाती हैं | जब जब कषाय-क्रोध, मान, माया, लोभ तीव्र बनते हैं तब तब रक्ताभिसरण की क्रिया प्रभावित होती है । वह ज्यादा प्रभावित होती है तो रक्त विषैला भी बनता है और रक्ताभिसरण की क्रिया भी ठप्प हो जाती है। इस स्थिति में अनेक बीमारियों को जन्म लेने का अवसर मिल जाता है । अनुप्रेक्षा इन सारी समस्याओं का एक समाधान है । इसीलिए एक अध्यात्मशास्त्री कहता है-यह भावात्मक परिर्वतन अथवा व्यक्तित्व निर्माण का सूत्र है | यदि स्वास्थ्यशास्त्री इस पद्धति का अनुशीलन करे तो उसकी भाषा होगी- स्वास्थ्य का इससे बढ़िया और कोई सूत्र नहीं हो सकता । समय का नियोजन करें वस्तुतः यह कितना महत्वपूर्ण सूत्र है- उद्देश्य का चुनाव करो, उस पर एकाग्र बनो, उपयुक्त शब्दावलि में सुझाव दो, आदेश दो, उसे भावना या अनुभूति के स्तर पर ले जाओ और जैसा चाहो वैसा बनो । एक बात पर अवश्य ध्यान दें- यह केवल स्मृति मात्र से नहीं होगा । इसकी प्रक्रिया के साथ समय का बोध भी जुड़ा हुआ है । कम से कम आधा घण्टा अथवा अड़चास मिनट तक इसका प्रयोग नहीं होगा तो कुछ परिणाम नहीं आएगा। अगर परिर्वतन लाना है तो अपेक्षित समय का नियोजन करना होगा । यदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003146
Book TitleMahavira ka Swasthyashastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1999
Total Pages186
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size7 MB
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