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महावीर और मोहम्मद
भगवान महाबीर और पैगम्बर मोहम्मद दोनों के जीवन काल में लगभग बारह सौ वर्षों का अन्तर है। महावीर २७ मार्च ५९९ ई० पू० उत्पन्न हुए और १५ अक्तूबर ५२७ ई० पू० निर्वाण को प्राप्त हुए । मोहम्मद साहब का जन्म मार्च ५७० और मृत्यु सन् ६३२ है । अर्थात् एक ई० पू० छठी शताब्दी में भारत देश के बिहार स्थित कुण्डपुर ग्राम में हुए जो आज एक महान् पवित्र तीर्थस्थान माना जाता है। दूसरे मोहम्मद साहब अरब मरुस्थल के प्रसिद्ध शहर मक्का में छठी शताब्दी में पैदा हुए। भगवान महावीर आज से २६०० वर्ष पहले हुए और मोहम्मद साहब १४०० वर्ष पहले। जहां भगवान महावीर के पिता क्षत्रिय नृपति सिद्धार्थ थे वहां मोहम्मद साहब के पिता अब्दुल कुरैश सम्प्रदाय के सम्भ्रान्त वंश बनी हाशम से थे। एक को केवल ज्ञान की प्राप्ति लगभग ४२ वर्ष की अवस्था में हुई, दूसरे को भी नबूवत (नबी या पैगम्बर) लगभग ४० वर्ष की अवस्था में मिली। दोनों का जीवन आरम्भ से ही वैराग्य पूर्ण रहा। समाज के व्यभिचार हिंसा, अधर्म, नैतिक पतन को देखकर वे कराह उठे । अन्ततोगत्वा एक ने तो भरी जवानी में राज-वैभव का परित्याग कर निरावरण होकर प्रव्रज्या ग्रहण की और जीवनपर्यंत अविवाहित रहे (लेकिन श्वेताबर सम्प्रदाय उनके विवाह को स्वीकारता है) दूसरे ने भी सांसारिक वैभव से पराङ्गमुखता प्रदर्शित की और २५ वर्ष की अवस्था में खदीजा नाम की विधवा स्त्री से विवाह किया। चूंकि दोनों का जीवन आदि से अन्त तक त्यागमय था अतः उनका मान-सम्मान भी दूर-दूर तक किया गया और युगों-युगों से किया जा रहा है। संसार में, विशेषतया भारत में उन्हीं महापुरुष को पूज्यास्पद माना गया जो सर्वथा त्यागी थे, क्योंकि भारत की जीवन-दृष्टि पश्चिम के समान भोगवादी कभी नहीं रही, वह अनादि काल से त्यागवादी रही है। शुद्ध भोगवाद को यहां कभी प्रोत्साहन नहीं दिया गया। भोगवाद का प्रचार चार्वाक -दर्शन में ही किया गया, और उसी को इस देश ने स्वीकार नहीं किया।
दोनों के युग की सामाजिक दशा पर यदि दृष्टिपात किया जाये तो ज्ञात होगा कि भगवान महावीर के युग में कर्मकाण्ड की प्रधानता थी, मनुष्य, पशु सभी की बलि दी जाती थी। समाज में घोर विषमता थी। मनुष्य को कोई प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं थी, हिंसा, अत्याचार, अधर्म, धर्मान्धता
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