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________________ ३७. सन्देह का कुहासा : विश्वास का सूरज पिछले दिनों विश्व के इतिहास में एक और उल्लेखनीय घटना घटी। उस घटना ने अहिंसा में आस्था रखने वाले व्यक्तियों और संगठनों को नया हौसला दिया है। घटना का सम्बन्ध है परमाणु आयुधों के द्वारा होने वाले युद्ध की आशंका को कम करने की दिशा में हुए एक समझौते के साथ । रूस और अमेरिका के बीच हुए उस समझौते की पहचान 'स्टार्ट सन्धि : द्वितीय चरण' के रूप में कराई गई। 'स्टार्ट सन्धि : प्रथम चरण' की घटना अभी बहुत पुरानी नहीं हुई है। पर प्रथम और द्वितीय चरण के बीच उभरे छोटे-से अन्तराल में राजनैतिक उथल-पुथल ने विश्व की दो महाशक्तियों में से एक के अस्तित्व को चुनौती दे डाली। स्टार्ट प्रथम संधि पर हस्ताक्षर के समय सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में मान्यता प्राप्त था। दूसरी संधि के समय सोवियत संघ की सत्ता बिखर गई। जिन देशों के समवाय से सोवियत संघ की संरचना हुई थी, वे अपनी निजी पहचान की आकांक्षा के शिकार हो गए। गोर्बाच्योव के पुनर्निर्माण और खुलेपन की भावना से वहां क्रन्ति की एक लहर उठी, पर वह गोर्बाच्योव को एक ओर छोड़कर विलीन हो गई। 'स्टार्ट सन्धि : द्वितीय चरण' में अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के उत्तराधिकारी देशों ने परमाणु आयुधों में दो तिहाई कमी करने का वादा किया गया है। यह वादा एक दशक की अवधि में पूरा होगा, ऐसा विश्वास किया जाता है। सन् १६६३ से २००३ तक का यह समय इस दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण माना जा सकता है। इतना हो जाने के बाद भी दोनों देशों के पास बचे परमाणु आयुधों की शक्ति समूचे विश्व को दस बार नष्ट कर सकती है। यह स्थिति अब भी कम भयावह नहीं है। सन्तोष की बात इतनी सन्देह का कुहासा : विश्वास का सूरज : ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003144
Book TitleDiye se Diya Jale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1998
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size9 MB
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