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• जिस समाज में कोई किसी निरपराध प्राणी की हत्या नहीं करता। • जिस समाज में कोई किसी पर आक्रमण की पहल नहीं करता। • जिस समाज में कोई हिंसात्मक तोड़फोड़ नहीं करता। • जिस समाज में कोई किसी को अछूत नहीं मानता।
जिस समाज में साम्प्रदायिक उन्माद नहीं होता। • जिस समाज में व्यावसायिक अनैतिकता नहीं होती और उसे प्रतिष्ठा
भी नहीं मिलती। जिस समाज में लोकतंत्र की धज्जियां नहीं उड़तीं, चुनाव के प्रसंग
में अनैतिक आचरण नहीं होता। • जिस समाज पर सामाजिक कुरूढ़ियों का शिकंजा कसा हुआ नहीं
रहता। • जिस समाज में मादक व नशीले पदार्थों का उपयोग नहीं होता। • जिस समाज में संग्रह और भोग को अनियंत्रित नहीं रखा जाता। • जिस समाज में पर्यावरण की उपेक्षा नहीं होती।
इस प्रकार की और भी कुछ बातें हो सकती हैं। ये ऐसी बातें हैं जो किसी एक व्यक्ति, समाज या राष्ट्र के लिए ही उपयोगी नहीं हैं। इनके द्वारा पूरे विश्व की चेतना को प्रभावित या जागृत किया जा सकता है। विस्तार को समेटा जाये तो इसे एक शब्द में प्रस्तुति दी जा सकती है। वह शब्द है-अणुव्रत। अणुव्रत स्वस्थ-समाज संरचना की बुनियाद है। जो लोग अपने समाज को स्वस्थ बनाना चाहते हैं, वे व्यक्ति-व्यक्ति के जीवन को अणुव्रत आचार-संहिता के सांचे में ढालने का प्रयत्न करें। यह एक सामूहिक अनुष्ठान है। इसमें जनशक्ति का सम्यक् नियोजन हो पाया तो समाज की रुग्णता को सरलता से दूर किया जा सकता है।
स्वस्थ समाज का स्वरूप : ५ For Private & Personal Use Only
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