________________
भगवान श्री पद्मप्रभ
धर्म परिवार
गणधर
केवली
मनः पर्यवज्ञानी
अवधिज्ञानी
चौदह पूर्वधारी वैक्रियलब्धिका
वादी
साधु
साध्वी
श्रावक
श्राविका
1. अनन्तज्ञान
2. अनन्तदर्शन,
3. अनन्तचारित्र,
बारह गुण : केवलज्ञान प्राप्त होने पर अरिहंतों में 12 गुण प्रगट होते हैं
7. दिव्यध्वनि,
107
12,000
10,300
10,000
2,300
16,800
9,600
Jain Education International
3,30,000
4,20,000
2,76,000
5,05,000
8. चामर,
9. स्फटिक सिंहासन,
10. तीन छत्र,
11. आकाश में देव दुंदुभि,
For Private & Personal Use Only
4. अनन्तबल,
5. अशोकवृक्ष,
6. देवकृत पुष्पवृष्टि,
12. भामण्डल |
इनमें प्रथम चार आत्मशक्ति के रूप में प्रगट होते हैं, तथा पाँच से बारह तक भक्तिवश देवताओं द्वारा किए जाते हैं। प्रथम चार को अनन्त चतुष्टय, तथा शेष आठ को अष्टमहाप्रातिहार्य भी कहते हैं।
35
www.jainelibrary.org