SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 37 उनके नाम इस प्रकार हैं1. नारद। 2. वज्जियपुत्र। 3. असितदविक 4. भारद्वाज अंगिरस। 5. पुष्पसालपुत्र। 6. वल्कलचीरि। 7. कुर्मापुत्र। 8. केतलीपुत्र। 9. महाकश्यप। 10. तेतलिपुत्र। 11. मंखलीपुत्र। 12. याज्ञवल्क्य। 13. मैत्रयभपाली 14. बाहुक। 15. मधरायण। 16. सोरियायण। 17. विदु। 18. वर्षपकृष्ण। 19. आरियायण। 20. उल्कलवाद। उनके द्वारा प्ररूपित अध्ययन अरिष्टनेमि के अस्तित्व के स्वयंभूत प्रमाण हैं। प्रसिद्ध इतिहासकार डाक्टर राय चौधरी ने अपने 'वैष्णव धर्म के प्राचीन इतिहास' में भगवान अरिष्टनेमि (नेमिनाथ) को श्री कृष्ण का चचेरा भाई लिखा है। पी० सी० दीवान ने लिखा है जैन ग्रन्थों के अनुसार नेमिनाथ और पार्श्वनाथ के बीच में 84000 वर्ष का अन्तर है, हिन्दू पुराणों में इस बात का निर्देश नहीं है कि वसुदेव के समद्रविजय बड़े भाई थे और उनके अरिष्टनेमि नामक कोई पुत्र था। प्रथम कारण के सम्बन्ध में दीवान का कहना है कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमारे वर्तमान ज्ञान 69 णारद वज्जिय- पुत्ते आसिते अंगरिसि पुप्फसाले य। वल्कलकुम्भा केवलि कासव तह तेतलिसुते य।। मखली जण्णभयालि बाहुय महु सोरियाण विदुविंपू। वरिसकण्हे आरिय उक्कलवारीय तरुणे य।। -इसिभासियाई, पढमा संगहिणी, गाथा-2-31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003143
Book TitleChobis Tirthankar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherUniversity of Delhi
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy