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________________ भगवान धर्मनाथ 73 भ्राता बलदेव सुदर्शन के साथ प्रभु की वन्दना और दर्शन हेतु उद्यान में आया। भगवान के चरणों में श्रद्धा के पुष्प समर्पित किए। भगवान की दिव्य देशना से वासुदेव पुरुषसिंह को जागृति आयी और एसने सम्यक्त्व स्वीकार कर लिया। इसी प्रकर बलदेव सुदर्शन ने श्रावकधर्म ग्रहण किया। परिनिर्वाण ___ भगवान धर्मनाथ अपना निर्वाण-काल समीप अनुभव कर सम्मेतशिखर पहुँचे और 800 मुनियों के साथ उन्होंने अनशन व्रत आरम्भ कर दिया। ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को पुष्य नक्षत्र में समस्त कर्मों का क्षय कर भशन ने निर्वाण पद प्राप्त कर लिया और सिद्ध, बुद्ध व मुक्त बन गए। भगवान ने कुल दस लाख वर्ष का आयुष्य पूर्ण किया था। धर्म परिवार 43 गणधर केवली मनःपर्यवज्ञानी अवधिज्ञानी चौदह पूर्वधारी वैक्रियलब्धिकारी वादी साधु साध्वी श्रावक श्राविका 4,500 4,500 3,600 900 7,000 2,800 64,000 62,400 2,04,000 4,13,000 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003143
Book TitleChobis Tirthankar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendramuni
PublisherUniversity of Delhi
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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