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चौबीस तीर्थंकर
भगवान श्रेयांसनाथ का ऐसा अद्भुत प्रभाव था। अपने इस प्रबल प्रभाव से प्रभु जन-जन को कल्याण का मार्ग बताते और उस मार्ग को अपनाने की प्रेरणा देते हुए लगभग 21 लाख पूर्व वर्ष तक विचरण करते रहे।
परिनिर्वाण
अन्तत: अपने जीवन की सांध्य बेला को निकट पहुँची जानकर भगवान ने 1000 मुनियों के साथ अनशन कर लिया ओर ध्यानस्थ हो गए। शुक्लध्यान की चरम दशा में पहुँचकर श्रावण कृष्णा तृतीय के धनिष्ठा नक्षत्र में भगवान सकल कर्मों का क्षयकर सिद्ध, बुद्ध एवं मुक्त हो गए।
धर्म परिवार
गणधर केवली मन:पर्यवज्ञानी अवधिज्ञानी चौदह पूर्वधारी वैक्रियलब्धिकारी वादी साधु साध्वी श्रावक श्राविका
76 6,500 6,000 6,000 1,300 11,000 5,000 84,000 1,03,000 2,79,000 4,48,000
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