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________________ निक्षेपवाद १४७ अहंत कुमार--एक ही शब्द में अनेकानेक अर्थ निहित होते हैं। सन्दर्भ के अनुसार शब्द के अर्थ भी बदलते रहते हैं। अनेक अर्थों वाले शब्द के निश्चित अर्थ का प्रतिपादन करने के लिए शब्द को विशेषण द्वारा प्रयुक्त करने की पद्धति का नाम निक्षेप है । रमेश-निक्षेप के कितने प्रकार हैं सर ! अर्हत कुमार-अगर हम विस्तार से जानना चाहें तो अर्थ प्रतिपादन के जितने प्रकार हैं, उतने ही निक्षेप के प्रकार हैं। अगर संक्षेप में विषय को समेटना चाहें तो इसके चार प्रकार हैं। (१) नाम निक्षेप (२) स्थापना निक्षेप (३) द्रव्य निक्षेप (४) भाव निक्षेप रमेश - हम तो कुछ भी नहीं समझे । ऐसा लगता है, जैसे किसी जंगल में भटक गये हैं। अर्हत कुमार-घबराओ मत। मैं तुमको सीधी पगडण्डी बताऊंगा जिससे तुम इस जंगल को एक क्षण में पार कर दोगे। अब सुनो तुम एक-एक निक्षेप का वर्णन । पहला है-नाम निक्षेप। अपने अर्थ से निरपेक्ष किसी संज्ञा विशेष से किसी व्यक्ति या वस्तु को पुकारना नाम निक्षेप है। शब्द के अनुरूप क्रिया या गुण उस पदार्थ या व्यक्ति में हों, यह जरूरी नहीं है। उदाहरण के तौर पर नाम अभय कुमार किन्तु भय इतना कि चूहा भी सामने आ जाये तो डर कर भग जाये। व्यक्ति निरक्षर है किन्तु नाम पंडित रख दिया गया। नाम निक्षेप के अनुसार डरने वाला अभय कुमार व निरक्षर को भी पंडित कहना सही है। ठनठनपाल की कहानी तो तुमने सुनी होगी ! रमेश-नहीं, नहीं ! अहत कुमार-मैं तुमको ठनठनपाल की कहानी सुना रहा हूँ, सुनो। एक था सेठ । उसके एक लड़का था। घर पर धन की कमी नहीं थी। एक मात्र संतान होने के कारण मां-बाप का लड़के पर विशेष स्नेह था। लाइप्यार के कारण उसे पढाया नहीं गया। वह निरक्षर रह गया। मित्रों ने उसका नाम उनठनपाल निकाल दिया। ठनठनपाल का विवाह हुआ। पत्नी तुनकमिजाजी व थोड़ी पढ़ी लिखी थी। पास पड़ौसिने इसको "ठनठनपाल की बहु" के नाम से पुकारने लगी। इसको अपने इस संबोधन पर बड़ी शर्म महसूस होती। एक दिन उसने अपने पति से कह दिया-आप अपने मान को बदल लें। पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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