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बात-बात में बोध दूसरा छात्र-यह तो जीवन को छूने वाला और व्यवहार को मांजने वाला
__मूल्यवान सूत्र है। तीसरा छात्र-और इसे व्यवहार में उतारे बिना मानव समाज स्वस्थ और
सुखी नहीं बन सकते ।। चौथा छात्र--इसको समझे बिना हम किसी भी वस्तु का समग्रता से ज्ञान कर
ही नहीं सकता। पांचवां छात्र-अध्यापक महोदय ! आपने बात-बात में हमको एक नया पाठ
पढ़ा दिया । आपका बहुत-बहुत आभार । अध्यापक --मेरा कहना यही है-तुम इस सिद्धान्त पर मनन करना। इसे हृदयं
गम कर जीवन में आग्रह-विग्रह से दूर रहना, समता व सन्तुलन का विकास करना, अपने विरोधी की बात को भी विनम्र होकर सुनना, किसी भी स्थिति में निराशा मत लाना और तटस्थ रहने का प्रयास करना। (इतने में ही घण्टी बज जाती है। कक्षा विसर्जित हो जाती है।)
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