________________
१३२
चेष्टा करता । स्याद्वाद पर आधारित है ।
हमारा यह जीवन और समूचा जगत् विरोधी युगलों के समन्वय से भरा पड़ा है। दिन के साथ रात व वसन्त के साथ पतझड़ की तरह जीवन में भी सुख-दुख, हानि-लाभ, मान-अपमान, जीवन मरण साथ साथ जुड़े हैं ।
हमारे शरीर में ६०० खरब कोशिकाएं है । कहते हैं प्रतिसेकेण्ड पांच करोड़ कोशिकाए ं नष्ट होती है और उतनी ही नई उत्पन्न होती है । उत्पादन और नाश साथ-साथ चलता है । अगर नाश ही हो, नया उत्पादन न हो तो शरीर जड़ बन जाये और नाश न हो और नयी पैदा होती रहे तो भी शरीर का ढांचा चरमरा जाता है। दोनों क्रियाएं होती रहती हैं तभी तक जीवन में स्फूर्ति और जीवन्तता बनी रहती है ।
स्यादवाद का सिद्धान्त हमारे जीवन के हर पहलू से जुड़ा है और हर नीति की सफलता के लिए वरदानस्वरूप है ।
एक छात्र -- स्याद्वाद के अन्य फलित क्या क्या हो सकते हैं, इस पर भी आप
कुछ चर्चा करें |
फलस्वरूप टकराहट होती ।
अध्यापक
बात-बात में बोध
सह अस्तित्व की नीति
-यह केवल आदर्श सिद्धान्त ही नहीं, जीवन और जगत का आधारभूत तत्त्व है । अगर इसका प्रयोग हमारे हर व्यवहार में ठीक ढंग से किया जा सके तो इसके अनेक फलित सामने आ सकते हैं । जिसने इस सिद्धान्त को समझ लिया, वह अपने ही हठ पर अड़ा नहीं रहेगा । न वह अपनी बात को कभी दूसरों पर थोपेगा ।
वह 'ही' की भाषा में नहीं सदा 'भी' की भाषा में सोचेगा । वैचारिक आग्रह के कारण ही परिवार में दीवारें खिंच जाती है, साथ में रहने वाले दो प्रेमी मित्र सदा के लिए जानी दुश्मन बन जाते हैं । स्यादवाद टूटे हुए सम्बन्धों को फिर से जोड़ने का अमोघ मंत्र है। स्यादवाद का दूसरा फलित है - अपने विरोधी विचारों को सुनने की क्षमता का विकास । व्यक्ति की बहुत बड़ी दुर्बलता होती है कि वह अपने विरोधी की बात सुनना नहीं चाहता । किन्तु स्यादवाद विरोधी की बात में भी सत्य को ढूंढ़ने का प्रयास करता है । उसके कथन की अपेक्षा को समझने की चेष्टा करता है ।
Jain Education International
स्यादवाद का तीसरा फलित है— जीवन में समता का विकास । व्यक्ति यह समझने लग जाता है कि जीवन विरोधी युगलों का आधार है ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org