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________________ पुनर्जन्म आकाश को छूने लगी। तृष्णा बढ़ती-बढ़ती करोड़ सोने या तक पहुँच गई, फिर भी उसका मन नहीं भरा। किन्तु दूसरे ही क्षणे कपिल का चिन्तन बदला। उसे अपनी निरंकुश लालसा पर अनुताप होने लगा। कपिल को पूर्वजन्म की स्मृति हुई। मन वैराग्य से भर गया। अब कपिल की कोई मांग नहीं रही। स्वयंबुद्ध हो गया। किसी घटना या व्यक्ति विशेष के निमित्त से उत्पन्न पूर्वजन्म के ज्ञान को निमित्त-जन्य कहते है। उत्तराध्ययन के १६वें अध्ययन में मृगापुत्र की घटना है। वह अपनी पत्नियों के साथ क्रीड़ारत था। राजपथ से आते हुए एक तपस्वी श्रमण पर अचानक उसकी नजर पड़ी। मुनि को अनिमेष देखते-देखते मृगापुत्र को जाति-स्मृति शान हो गया। ऐसा निर्मल रूप मैंने कहीं देखा है और मैं स्वयं ऐसा श्रमण था-इस प्रकार वह अपने पूर्वजन्म की स्मृतियों में खो जाता है। मुनि मेघकुमार जब संयम में अस्थिर हो गया। भगवान महावीर उसे पूर्वजन्म का वृत्तान्त सुनाते हैं। प्रभु की वाणी इतनी मार्मिक थी कि मेषकुमार को सुनते-सुनते साक्षात पूर्वभव दिखने लगा। हाथी के भव में सहन किए हुए कष्ट याद कर वह संयम में पुनः स्थिर हो गया। महेन्द्र-मुनिवर ! ये तो ग्रन्थों की बातें हैं, ऐतिहासिक कहानियां भी हो सकती है। ये सही ही है, कैसे भरोसा किया जाये ? क्या वर्तमान में भी इस प्रकार की घटनाएं घटित होती है जिनसे पूर्वजन्म को माना जा सके। मुनिराज-अतीत की ये घटनाएं निराधार नहीं हैं। इनके प्रमाण हमको शास्त्रों में समुपलब्ध होते है। फिर भी प्राचीन ग्रन्थों पर तुमको विश्वास नहीं तो मैं आधुनिक शोध से प्राप्त घटनाओं के माध्यम से पूर्वजन्म को प्रमाणित कर सकता हूँ। वर्तमान में भी इस प्रकार की अनेक घटनायें ग्रन्थों में उपलब्ध होती हैं। विज्ञान में परामनोविज्ञान के नाम से एक स्वतन्त्र शाखा का विकास हो गया है जिसमें इस प्रकार की घटित घटनाओं पर प्रयोग व खोजबीन की जाती है। डॉ० इयान स्टीवनसन ने इस क्षेत्र में बहुत खोजबीन की है । “दी एविडेंस फॉर सरवायवल फ्रोम क्लेम्ड मेमोरियल ऑफ फार्मर इन्कारनेशन्स" नाम से प्रकाशित ग्रन्थ में उन्होंने पूर्व जन्म सम्बन्धी अनेक घटनाओं का प्रामाणिक ब्यौरा दिया है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003142
Book TitleBat Bat me Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymuni Shastri
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1995
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Education
File Size8 MB
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