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कम-धिक
भाव
फूल
करवट कर्तव्य-बोध कल और परसों कल की बात कला
बन्दी फूल गूंजते भाव
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कलाकार !
गूंजते
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११५
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बन्दी गूंजते अनुभव बन्दी गूंजते बन्दी भाव गूंजते गूंजते भाव नास्ति विजय
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कल्पना कल्पना का एक किनारा कसौटी कसौटी की कसौटी कहने की बात कहानी काम्य और अकाम्य काल के इस अविरल कितना समझदार है किधर कुंजी नहीं कुंजी नहीं कृतज्ञता कैंची और सूई कोई कोई कोई जमाना था कोंपल और कुल्हाड़ी क्षमा
१११
५३
७४
भाव
अनुभव फूल
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गूंजते
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फूल अनुभव बन्दी
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क्षमा
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१३२
क्षमा दो क्षमा दो क्षितिज के उस पार क्षितिज के उस पार
नास्ति विजय विजय नास्ति
७८ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण
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