SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वासना की उच्छृंखलता असामाजिक वासना - विजय वास्तविक समस्या : आर्थिक या मानसिक वास्तविक समस्याएं और तनाव वास्तविक समस्याएं और तनाव विकल्प की खोज विकार - परिहार की साधना विकास विकास - वृत्त ( प्रेक्षा ध्यान ) विकेन्द्रित अर्थ-व्यवस्था और कर्मवाद विकेन्द्रित अर्थ-व्यवस्था और कर्मवाद विक्षिप्तता और ध्यान विघ्नहरण मंगलकरण विचार : अनुबंध विचार- परिवर्तन विचार-प्रवाह विचार - प्रेक्षा और समता विचार-मंथन विद्याभ्यास और विद्यागुरु विद्यार्थी जीवन और ध्यान विद्युत् का चमत्कार विधायक दृष्टिकोण विधायक भाव विधेयात्मक भाव विनय समाधि विनोद विनोबा : परिचय और अपरिचय के मध्य विपश्यना की अतीत यात्रा विभिन्न रंगों के गुण-दोष विभिन्न संस्थाएं ५४ / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International नैतिकता तट समाज निष्पत्ति अप्पाणं अर्हम् अहिंसा तत्त्व विश्व प्रेक्षा आधार कर्मवाद घट महा अपने घट अहिंसा तत्त्व तट प्रेक्षा आधार धर्मचक्र प्रज्ञापुरुष जीवन स्वस्थ मैं हूं अवचेतन जीवन स्वस्थ कैसे सोचें महावीर प्रज्ञापुरुष विचार का मेरी प्रेक्षा- लेश्या धर्मचक्र For Private & Personal Use Only ८४ ११० ११ १४१ ३५७ ७ २७७ २८ m २२५ ३७ २०४ २०४ ४४६ १७० ७३ ३६ २६३ १६ ६४ २३ ५२ င် o १६८ २०६ १४८ २७६ ६१ २८ २७७. www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy