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________________ लोकतंत्रीय चरित्र के चार स्तम्भ लोकवाद लोकवाद लोकवाद लोकसंस्थान भावना लोभ निमित्तक लौकिक अलौकिक लौकिक और लोकोत्तर वंदना वंदना के स्वर वनस्पति का वर्गीकरण वर्तमान का दर्प : भविष्य का दर्पण वर्तमान का दर्प : भविष्य का दर्पण वर्तमान की पकड़ वर्तमान की पकड़ वर्तमान के परिप्रेक्ष्य में वर्तमान क्षण की प्रेक्षा वर्तमान क्षण की प्रेक्षा वस्तु सत्य वाक्-संवर ( १ ) वाक्-संवर ( २ ) वाचिक अनुशासन के सूत्र वाणी की शक्ति वात्सल्य मूर्ति वा दसा किण दिन आवसी नैतिक जैन मौलिक ( २ ) जैन तत्त्व जैन दर्शन Jain Education International अमूर्त अहिंसा तत्त्व जैन चिंतन जैन चिंतन श्रमण प्रज्ञापुरुष अतीत महा प्रेक्षा आधार जैन योग वर्तमान युग को आचार्यश्री का अवदान धर्मचक्र वर्तमान युग में योग की आवश्यकता मैं हूं वर्तमान शिक्षा और जनतंत्र घट वर्तमान शिक्षा और जनतंत्र विचार का वर्तमान समस्याओं के संदर्भ में धर्म का प्रयोग धर्मचक्र विचार का घट कर्मवाद उत्तरदायी नय महावीर महावीर मैं 'कुछ शक्ति प्रज्ञापुरुष मन का For Private & Personal Use Only २६ १७३ ४३ २१५ ८५ ६२ ६० ४२ २८७ २४६ १७१ १२७ ३३२ १४३ ४५ ५३ ३३ १०६ २८२ ११४ १३१ २६५ २६ १ ६० १०० ६० २२ १५० १६ गद्य साहित्य / ५३ www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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