SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 174
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यथार्थवादी दृष्टिकोण अवचेतन यथार्थवादी व्यक्तित्व : अतिशयोक्ति का परिधान श्रमण यथार्थ विज्ञान : जीवन विज्ञान मेरी यदि मनुष्य क्रूर नहीं होता यम और नियम यात्रा और वर्षावास युगप्रधान युगप्रधान की पूर्व भूमिका युगप्रधान की पूर्व भूमिका युद्ध : अहंकार के साथ युद्ध और अहिंसा युद्ध और अहिंसा युद्ध और शांति युद्ध : कामवृत्ति के साथ युवक का कर्त्तव्य-बोध युवक का कर्त्तव्य-बोध युवक का संकल्प : अनुशासन, एकाग्रता और पुरुषार्थ युवका का संकल्प : अनुशासन एकाग्रता और पुरुषार्थ युवक : दृष्टिकोण का निर्माण युवक : दृष्टिकोण का निर्माण युवक : युगचेतना का संवाहक युवक-शक्ति : संगठन युवक : सार्थकता का बोध युवक : सार्थकता का बोध युवकों का दायित्व (१) युकों का दायित्व (१) युवकों का दायित्व (२) युवकों का दायित्व (२) युवकों की आस्था : एक प्रश्न, एक समाधान ५० / महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण Jain Education International तट मैं प्रज्ञापुरुष धर्मचक्र तेरापंथ विचार का सोया राष्ट्रीय तट महा सोया विचार का घट विचार का घट विचार का घट घट समस्या का विचार का घट विचार का घट विचार का घट विचार का For Private & Personal Use Only १२६ २२७ १६३ ५५ हद २४० १६७ १४४ २४४ ७० १० ३६ १०२ ६३ ७० ३८७ ४० ३७३ २६ ३६५ ३४० १२१ १८ ३५७ १ ३४५ १२ ३५३ ६० www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy