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________________ पीड़ित जनता के विकास का स्वप्न-द्रष्टा : डा० लोहिया पुण्य : एक मीमांसा पुण्य : एक मीमांसा पुद्गल पुरानी परम्परा पुरुषार्थ का प्रदीप पुरुषार्थ की नियति और नियति का पुरुषार्थं पूंजीवाद और अणुव्रत पूर्ण और अपूर्ण पूर्णता के साधक : आचार्य तुलसी पूर्णता के साधक : आचार्य तुलसी पूर्वजन्म : पुनर्जन्म पौरुष की पूजा पौरुष की पूजा प्रगति के संकेत प्रगति के स्वर्ण-सूत्र प्रगति या प्रतिगति प्रज्ञा और प्रज्ञ प्रज्ञा और रश्मियां प्रतिक्रमण प्रतिक्रमण प्रतिक्रमण : ग्रंथिशोधन की आधार भूमिका प्रतिक्रियावाद : कर्म प्रतिक्रिया से कैसे बचें ? (१) प्रतिक्रिया से कैसे बचें ? (२) प्रतिक्रिया से मुक्ति और समाधि प्रतिध्वनि प्रतिबद्धता का प्रश्न प्रतिरोधात्मक शक्ति Jain Education International समस्या का तेरापंथ जैन धर्म जैन चिन्तन अहिंसाव श्रमण एकला समस्या का तट तेरापंथ विचार का घट अणुव्रत विशारद नैतिक श्रमण मन का नैतिकता मनन प्रज्ञापुरुष उत्तरदायी कर्मवाद महा जैन योग कैसे सोचें कैसे सोचें अप्पाi / समाधि भिक्षु कर्मवाद अणुव्रत For Private & Personal Use Only १७० ७० १६२ २६३ ५.३ ३२ ४३ ६३ १६४ ६७ १०८ २२. ३७ १३६ १ १६ ८५. && १२७ ४६ १०४ २७ गद्य साहित्य / ३.६. १११ १७१ १३ २०२ २३ १९७ ५ www.jainelibrary.org
SR No.003141
Book TitleMahapragna Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1988
Total Pages252
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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