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महाप्रज्ञ साहित्य : एक सर्वेक्षण
यह युवाचार्य श्री के कथा साहित्य की उत्पत्ति का एक निदर्शन है। प्रस्तुत कथाओं के पांच भाग विभिन्न अवसरों, शिविरों तथा अन्यान्य आयोजनों में प्रदत्त आपके प्रवचनों से संकलित हैं। इनमें कुछ ऐतिहासिक घटनाएं हैं, कुछ पांरपरिक और कुछ काल्पनिक । कथाएं या घटनाएं इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं होती, महत्त्वपूर्ण होता है उनका प्रतिपाद्य या उनका जीवन्त सत्य । जो कथाकार इस जीवन्त सत्य को शब्दों का उचित परिवेश दे पाता है, वह उसको सर्वाधिक उजागर कर प्रभावोत्पादक बना देता है । यह खूबी है युवाचार्यश्री के कथा साहित्य की। हम यत्र-तत्र अनेक छोटी-बड़ी घटनाएं या चुटकले पढ़ते हैं, परंतु जो वेधकता इन पुस्तको में संगृहीत इन कथाओं में है, वह अन्यत्र कम उपलब्ध है। जैसे
__ 'महारानी विक्टोरिया गई। दरवाजा खटखटाया। भीतर था प्रिंस अलबर्ट । उसने पूछा-कौन है ? वह बोली--महारानी विक्टोरिया । दरवाजा खुला नहीं। फिर खटखटाया। फिर पूछा--- कौन है ? उसने कहा-आपकी प्रिय पत्नी विक्टोरिया । तत्काल दरवाजा खुल गया।
महारानी के लिए दरवाजा नहीं खुल सकता और प्रिया के लिए दरवाजा खुल सकता है। एक का अहंकार दूसरे में भी अहंकार पैदा करता है। एक की विनम्रता दूसरे को भी विनम्र बना देती है।
इस प्रकार प्रत्येक कथा छोटे एवं सरस वाक्यों में निबद्ध है जो पाठक का ध्यान खींचती है। आज के व्यस्त मानव के मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन हेतु ये कथाएं अपना विशेष स्थान रखती हैं।
निष्पत्ति
__ यह एक लघु उपन्यास है, जिसमें हिंसा और अहिंसा के मूल बीज और परिणामों का स्पष्ट उल्लेख है । हिंसा के विचारों से किस प्रकार परिवार टूटता है, व्यक्ति टूटता है और अहिंसा के विचारों से किस प्रकार व्यक्ति व्यक्ति का हृदय अनुस्यूत होता है और किस प्रकार पारिवारिक जीवन सुखद और आनन्ददायी बन सकता है, यह इस लघु उपन्यास का थीम और हार्द है।
___ यह लघु उपन्यास आधुनिक उपन्यासों की भांति भावनात्मक नहीं किन्तु विचारोत्तेजक और मन को झकझोरने वाला है।
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