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६. कथा साहित्य
युवाचार्य श्री जब प्रवचन करते हैं तब विषय के स्पष्ट अवबोध के लिए चुटकले तथा छोटी-मोटी कथाएं कहते हैं। प्रवचन का विषय आध्यात्मिक हो या भौतिक, राजनैतिक हो या सामाजिक, दार्शनिक हो या वैज्ञानिक सभी प्रवचनों में कथाओं का समावेश होता है। इन कथाओं का पृथक् संकलन इसीलिए किया गया है कि नर और नारी, बालक और बूढे सभी उनका आनन्द ले सके। इन सभी कथाओं का फलितार्थ मर्म को छूने वाला है।
__ कथाओं की सात पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनके साथ ही साथ 'निष्पत्ति' शीर्षक से एक लघु वैचारिक उपन्यास भी है। इसमें आधुनिक उपन्यासों जैसा भावना का संसार नहीं है, पर यथार्थ के धरातल पर लिखा गया यह उपन्यास विचारों की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इसमें हिंसा और अहिंसा के अन्तर्द्वन्द्व को वैचारिक धरातल पर प्रस्तुत किया गया है ।
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