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निष्ठाशील श्रावक : श्री बिहारीलालजी जैन २११
बिहारीलालजी-ना बाबा, ना। ऐसी गाली मत दीजिए। मैं तो समाज का एक अदना-सा सेवक हूं।
मैं---यह भी तो नेता का ही एक लक्षण है कि वह स्वयं को मानता तो नेता है, पर कहता सेवक ही है।
बिहारीलालजी---कहीं तो जीने की जगह दीजिए। चारों ओर से क्यों घेरते हैं। और उन्होंने अपना स्वाभाविक ठहाका लगाकर बात की समाप्ति की घोषणा कर दी।
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