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जयपुर के प्रमुख तेरापंथी श्रावक २०५
श्रीमती मनसुखी देवी भी तत्त्वज्ञ श्राविका थी। दोनों का योग सोने में सुगन्ध था । मोतीलालजी ने अपने परिवार में भी अच्छे संस्कार दिए । उनका जीवनकाल १९५४ से १९९६ तक रहा। सुजानगढ़ में आचार्यश्री की सेवा में थे, वहीं १५ दिन बीमार रहकर दिवंगत हो गए । उनका पुत्र पन्नालाल बांठिया एक अच्छा श्रद्धाशील कार्यकर्ता है ।
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