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संवर भावना
वर्तमान क्षण की प्रेक्षा
अतीत बीत गया, भविष्य अनागत होता है, जीवित क्षण वर्तमान होता है । भगवान् महावीर ने कहा-खणं जाणाहि पंडिए । साधक, तुम क्षण को जानो । अतीत के संस्कारों की स्मृति से भविष्य की कल्पनाएं और वासनाएं होती हैं। वर्तमान क्षण का अनुभव करने वाला स्मृति और कल्पना दोनों से बच जाता है। स्मृति और कल्पना राग-द्वेष - युक्त चित्त का निर्माण करती है। जो वर्तमान क्षण का अनुभव करता है, वह सहज ही राग-द्वेष से बच जाता है। यह राग-द्वेष शून्य वर्तमान क्षण ही संवर है । राग-द्वेष शून्य वर्तमान क्षण को जीने वाला अतीत में अर्जित कर्म-संस्कार के बन्ध का निरोध करता है 1 इस प्रकार वर्तमान क्षण में जीने वाला अतीत का प्रतिक्रमण, वर्तमान का संवरण और भविष्य का प्रत्याख्यान करता है ।
तथागत अतीत और भविष्य के अर्थ को नहीं देखते । कल्पना को छोड़ने वाला महर्षि वर्तमान का अनुपश्यी होकर, कर्मशरीर का शोषण कर उसे क्षीण कर डालता है 1
भगवान् महावीर ने कहा- 'इस क्षण को जानो ।' वर्तमान को जानना और वर्तमान में जीना ही भाव-क्रिया है । यांत्रिक जीवन जीना, काल्पनिक जीवन जीना और कल्पना लोक में उड़ान भरना द्रव्यक्रिया है । यह चित्त का विक्षेप है और साधना का विघ्न है । भावक्रिया स्वयं साधना और स्वयं ध्यान है। हम चलते हैं और चलते समय हमारी चेतना जागृत होती है, 'हम चल रहे है' – इसकी स्मृति रहती है - यह गति की भाव- क्रिया है । इसका सूत्र है कि
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साधक चलते समय पांचों इन्द्रियों के विषयों पर मन को केन्द्रित न करे । आंखों से कुछ दिखाई देता है, शब्द कानों से टकराते हैं, गंध के परमाणु आते हैं, ठंडी या गर्म हवा शरीर को छूती है- इन सबके साथ मन को न जोड़े। साधक चलते समय पांचों प्रकार का स्वाध्याय न करे- न पढ़ाए, न प्रश्न पूछे, न पुनरावर्तन करे, न अर्थ का अनुचिंतन करे और न धर्म-चर्चा करे, मन को पूरा खाली रखे । साधक चलने वाला न रहे, किन्तु चलना बन जाए, तन्मूर्ति (मूर्तिमान गति ) हो जाए । उसका ध्यान चलने में ही केन्द्रित रहे, यह गमनयोग है ।
शरीर और वाणी की प्रत्येक क्रिया भावक्रिया बन जाती है, जब मन की क्रिया उसके साथ होती है, चेतना उसमें व्याप्त होती है ।
भावक्रिया का सूत्र है-चित्त और मन क्रियमाण क्रियामय हो जाए । इन्द्रिय उस क्रिया के प्रति समर्पित हों, हृदय उसकी भावना से भावित हो, मन उसके अतिरिक्त किसी अन्य विषय में न जाए, इस स्थिति में क्रिया भावक्रिया बनती है ।
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