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________________ आत्मानुशासन अनुप्रेक्षा 'संसार में जो भी दुःख है, वह शस्त्र से जन्मा हुआ है। संसार में जो भी दु:ख है, वह संग और भोग से जन्मा हुआ है। नश्वर सुख के लिए प्रयुक्त क्रूर शस्त्र को जो जानता है, वही अशस्त्र का मूल्य जानता है। जो अशस्त्र का मूल्य जानता है वही नश्वर सुख के लिए प्रयुक्त क्रूर शस्त्र को जान सकता भगवान् ने कहा-'गौतम ! तू आत्मानुशासन में आ। अपने आपको जीत। यही दु:ख-मुक्ति का मार्ग है। कामों, इच्छाओं और वासनाओं को जीत । यही दु:ख-पुक्ति का मार्ग है।' ‘लोक का सिद्धांत देख-कोई जीव दु:ख नहीं चाहता। तू भेद में अभेद देख। सब जीवों में समता देख, शस्त्र-प्रयोग मत कर। दु:ख-मुक्ति का मार्ग यही है।' कषाय-विजय, काम-विजय या इन्द्रिय-विजय और साम्य-दर्शन-ये दु:ख-भुक्ति के उपाय हैं। जो साम्यदर्शी होता है, वह शस्त्र का प्रयोग नहीं करता। शस्त्र-विजेता का मन स्थिर हो जाता है। स्थिर-चित्त व्यक्ति को इन्द्रियां नहीं सताती-इन्द्रिय-विजेता के कषाय (क्रोध, मान, माया, लोभ) स्वयं स्फूर्त नहीं होते।' आत्मा की असुरक्षा के हेतु हैं-इन्द्रियों की और मन की चंचलता। इन्द्रियां विषय को ग्रहण करती हैं और मन को अपना संवाद पहुंचाती हैं। मन अनुरक्ति और विरक्ति, चाहिए और नहीं चाहिए की दौड़-धूप में व्यग्र हो उठता है। पूर्वबद्ध संस्कारों के कारण आत्मा की ध्वनि दब जाती है और मन सक्रिय हो उठता है। यह असमाधि है, दु:ख है। जिस साधक ने इन्हें ठीक समझकर, जानकर और देखकर समाधिस्थ बना लिया है, जिसकी इन्द्रियां अब स्वयं के अधीन हो गई हैं, जो अपना मालिक है वह आत्मगुप्त होता है। व्यक्ति अपने प्राप्त के प्रति प्रतिपल प्रयत्नशील रहे तो वह अवश्य प्राप्त होता है। गति की शिथिलता चरणों को कमजोर बना देती है। अथक प्रयत्न से कुछ भी असाध्य नहीं है। साधक आत्मोन्मुख होकर बढ़ता है। वह चाहता है, लक्ष्य को हस्तगत करना, लेकिन बाधाएं उसे प्रताड़ित करती हैं। बाधाएं हैं-मोह, ममत्व, घृणा, राग, मानसिक चपलता, विषय-प्रवृत्ति आदि-आदि। साधा दन्हें परास्त किए बिना सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। आत्म-स्वरूप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003139
Book TitleAmurtta Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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