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________________ धैर्य अनुप्रेक्षा साम्यवाद के सिद्धांत का पहले पहल मार्क्स ने प्रतिपादन किया था । वह समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री था । अपने सिद्धांत के प्रतिपादन के लिए वह भटकता रहा । उसे लोग देश से निकाल देते थे, मकान से निकाल देते थे । ऐसा होता है । जिन्होंने संसार को नया तत्त्व दिया है, उनको उनके ही भक्तों द्वारा अपमान सहना पड़ा है, कभी जहर भी पीना पड़ा है 1 सुकरात महान् साधु व तत्त्ववेत्ता था । आज भी पश्चिमी देशों में वह प्रथम कोटि का तत्त्वज्ञ माना जाता है। उसने वर्तमान रूढ़िगत धारणा के विरुद्ध सत्य की घोषणा की थी, इसीलिए उसको जहर का प्याला पीना पड़ा । ईशु को फांसी पर चढ़ना पड़ा, क्योंकि उन्होंने तत्कालीन धर्म के विरुद्ध बातें कहीं थीं । भिक्षु स्वामी को भी बहुत सहना पड़ा था । धीर- - पुरुष के सोचने का क्रम है-कभी कोई गाली देता है तो सोचता है, गाली ही दी, पीटा तो नहीं। कभी पीटने की नौबत बन जाती है तब सोचता है प्राण तो नहीं लूटे, केवल पीटा ही । हमने देवास में देखा । व्याख्यान का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ । जोर से हल्ला उठा । हल्ला करने वाले ५-१० ही भाई थे, पर हल्ले से सबका ध्यान खिंच गया । आचार्यश्री को प्रार्थना की कि आप ऊपर पधार जाएं, क्योंकि पथराव होने की संभावना है। पत्थर आने लगे । निशाना लगाया था आचार्यश्री के सिर पर, परन्तु पत्थर पीठ पर लगा। उस समय आचार्यश्री ने कहा- कोई बात नहीं है, इतने से ही काम चल गया । एक भी रोम में प्रतिक्रिया नहीं हुई। हो सकता है कोई पत्थर की जगह गोली मार दे । प्राण लूटने पर धार्मिक या साधक सोचेगा, प्राण ही लूटा, पर धर्म तो नहीं लूटा। जो धीर पुरुष होता है, वह खैर मना लेता है। यह जो विधायक चिंतन की मनोवृत्ति है, वह साधनाशील या तत्त्ववेत्ताओं में प्राप्त होती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only १८३ www.jainelibrary.org
SR No.003139
Book TitleAmurtta Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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