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अमूर्त चिन्तन
उसी जीवन में रक्षाजीवी होकर क्षत्रिय, व्यवसायजीवी होकर वैश्य और सेवाजीवी होकर शूद्र हो सकता है। परिवर्तनशील जाति मनुष्य मनुष्य के बीच में ऊंच-नीच और छुआछूत की दीवार खड़ी नहीं करती । '
महावीर ने सापेक्षवाद से विश्व की व्यवस्था की। उन्होंने कहा, एकता और अनेकता की धारा एक साथ प्रवाहित है । इस सह-अस्तित्व के प्रवाह में 'या तुम या मैं' के लिए कोई स्थान नहीं है । तुम्हारे बिना मैं और मेरे बिना तुम नहीं हो सकते। तुम और मैं एक साथ ही हो सकते हैं।' संघर्ष वास्तविक नहीं है । घृणा वास्तविक नहीं है । वास्तविक है सहयोग, वास्तविक है समन्वय-अपने अस्तित्व के साथ दूसरों के अस्तित्व की स्वीकृति, अपने व्यक्तित्व के साथ दूसरों के व्यक्तित्व की स्वीकृति ।
'मानवीय एकता' की स्वीकृति के साथ मानवीय अनेकता की स्वीकृति जुड़ी हुई है। सब 'मनुष्य एक है' यह सापेक्ष सिद्धांत है । सापेक्षता एकता - अनेकता के बिना नहीं हो सकती । मनुष्य मनुष्य के बीच प्रकृति और व्यवस्थाकृत अनेकताएं भी हैं । उनके आधार पर एक मनुष्य दूसरे मनुष्य से भिन्न है । यह मानवीय एकता और अनेकता की तथ्यात्मक स्वीकृति है ।
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महावीर ने उक्त सिद्धान्त का धर्म के दृष्टिकोण से प्रतिपादन किया । उन्होंने कहा, 'मनुष्य जाति में एकता और अनेकता- दोनों के तत्त्व विद्यमान हैं और दोनों वास्तविक हैं । इसलिए ये धर्म का आधार नहीं बन सकतीं। यदि एकता के आधार पर हम मनुष्य जाति से प्रेम करें तो अनेकता के आधार पर द्वेष कैसे नहीं करेंगे ? हम अनेकता को इसलिए द्वेष का आधार बनाते हैं कि एकता के आधार पर प्रेम करते हैं । इस द्वन्द्व के आधार पर होने वाला प्रेम धार्मिक का प्रेम नहीं होता । एकता और अनेकता के द्वन्द्व से जो द्वन्द्वातीत आत्मा की अनुभूति है वह धर्म है । इस धार्मिक दृष्टिकोण से मानवीय एकता का अर्थ होगा- मनुष्य मनुष्य के बीच घृणा और संघर्ष की समाप्ति।
महावीर ने धर्म की दृष्टि से मानवीय एकता की व्याख्या की, उसमें सम्प्रदाय को स्थान नहीं दिया। उनके मतानुसार कौन व्यक्ति किस सम्प्रदाय में दीक्षित है, इसे मूल्य नहीं दिया जा सकता । मूल्य इसका होगा कि कौन व्यक्ति कितना ऋजु, कितना पवित्र और कितना कषायमुक्त है। जैन धर्म में दीक्षित होने वाला मुक्त नहीं भी हो सकता है और अन्य धर्म में दीक्षित होने वाला मुक्त हो सकता है- इसका प्रतिपादन कर महावीर ने धर्म क संप्रदायातीत और भेदातीत स्वरूप जनता के सामने प्रस्तुत किया ।
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