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अमूर्त चिन्तन
यह हमारा सौभाग्य है कि हम प्रारम्भ से ही साम्प्रदायिक अभिनिवेश से बचे हैं। आज तक तेरापंथ कभी भी खंडनात्मक नीति के चक्र में नहीं फंसा है।
'आत्मशुद्धि का जहां प्रश्न है, सम्प्रदाय का मोह न हो'-यह घोष अंत:प्रेरणा का प्रतिफलन है। समन्वय का प्रयत्न और साम्प्रदायिक एकता के पांच सूत्र उसी प्रेरणा के आधार पर प्रस्तुत किए गए हैं। अणुव्रत आंदोलन उसी भावना का विराट रूप है।
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