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मैत्री भावना
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आराधना का महत्त्वपूर्ण सूत्र है-मैत्री का विकास । मैत्री के विकास के लिए, शक्ति का विकास और शक्ति के विकास के लिए सहिष्णुता का विकास, निर्मलता का विकास। जब ये सब विकास हमारी चेतना में घटित होते हैं तब दृष्टि का रूपांतरण होता है। हम तब सचमुच इकोलॉजी के सिद्धांत की परिधि में आ जाते हैं। आज की इस नई शाखा का विकास जितना अहिंसा के जगत् में हुआ है, आज तो उसका पुनरावर्तन हो रहा है बहुत ही थोड़े अंशों में। परस्परालम्बन, सहयोग और परस्पर निर्भरता-ये सब प्रकृति के कण-कण से जुड़े हुए हैं। ये सब अहिंसा के सिद्धांत में बहुत विकसित हुए हैं।
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