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अनुभव का उत्पल
शेष क्या है ?
वह क्या है, जो अभी बाकी है ? यह सोचूं या यह सोचूं कि वह क्या नहीं है जो अभी बाकी है। जो करना चाहिए, वह लगभग सारा का सारा बाकी है। जो नहीं करना चाहिए, वह कितना बाकी है या नहीं है, यह कौन जाने ?
साधना में आया, कुछ करने लगा। उसमें मन रमा, कुछ आगे बढ़ा। सफलता के क्षणों में देखता हूं करना अभी बहुत बाकी है। अशेष दुर्बलता मिट जाए, तब कुछ भी करना शेष नहीं रहेगा। जब तक दुर्बलता शेष है, तब तक कृत्य भी शेष रहेगा।
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