________________
अनुभव का उत्पल
श्रद्धा
श्रद्धा का इतिहास आंसुओं की स्याही से लिखा गया है। जहां भक्त का हृदय भक्ति के उद्रेक से पिघल जाता है, वहां वह भगवान् को भी पिघाल देता है।
जहां तर्कों की कर्कशता होती है, वहां आपसी सम्बन्ध सरस हो नहीं पाते। एकात्मकता का उदय विश्वास की भूमिका में ही होता है और वहां सारा द्वैध विलीन हो जाता है। आसानी से या कठिनाई से मिलने वाले सब स्वादों का अनुभव करने पर भी जिसने श्रद्धा का स्वाद नहीं चखा, उसका जन्म बेकार है ।
Jain Education International
श्रद्धे ! तेरा प्राणकोश अत्यन्त सुकुमार होने पर भी तू उन्हीं व्यक्तियों से अनुराग करती है जो भयंकर कष्टों के तूफान में अडोल रहते हों- यह बड़ा आश्चर्य है ।
५३
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org