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- अनुभव का उत्पल)
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पारखी
अपने रूप में सब वस्तुएं शुद्ध होती हैं। अशुद्ध वह होती है, जिसका अपना स्व कुछ दूसरा हो और दीखे वह दूसरे रूप में। यह अन्तर और बाहर का भेद जनता को भुलावे में डालता है। इसीलिए मनुष्य को पारखी बनने की आवश्यकता हुई।
नार
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