________________
-
( अनुभव का उत्पल)
-
-
उलझन
तुम दूसरों को अपनी दृष्टि से देखते हो और अपने को दूसरों की दृष्टि से।
... तुम दूसरों को अपनी गज से नापते हो और अपने को दूसरों की गज से।
यही तो वह उलझन है जिससे सारी उलझनें जन्म पाती हैं।
3४..
Jain Education International
For Private & Personal Use Only.
www.jainelibrary.org