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( अनुभव का उत्पल,
अनुभूति
मरते समय जो अनुभूति होती है वह पहले हो जाए तो कोई किसी को मार ही नहीं सकता।
वह मुझे देख रहा है- इस कल्पना में मेरी दुर्बलता आकार पा रही है। उसकी दुर्बलता उसी में है कि वह मुझे सन्देह की दृष्टि से देखता है।
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