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अनुभव का उत्पल
उषा और संध्या
नया आलोक लिए उषा जाती है, हम प्रकाश से भर जाते हैं।
सन्ध्या आती है और हमारी जीवन की एक गांठ को खोलकर चली जाती है। एक दिन आता है, जीवन की गांठ शेष नहीं रहती ।
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