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अनुभव का उत्पल)
मनन
अनुभूति में विवेचन नहीं होता, चिन्तन में गति नहीं होती।
अनुभूति का परिपाक विवेक में होता है और विवेक का परिपाक होता है मनन में।
मनन क्या है? ज्ञान और आचरण की रेखाओं का समीकरण ही तो मनन है।
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