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अनुभव का उत्पल)
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मन की मुक्ति
बन्धन बन्धन को जन्म देता है और मुक्ति-मुक्ति को। बन्धन से मुक्ति पाने की अनिवार्य शर्त है मन की मुक्ति।
जिसका मन सरल होता है, वह दूसरों से ठगा नहीं जाता। ठगा वही जाता है, जिसके अपने मन में गरल होता है।
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