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(( अनुभव का उत्पल
बिंदु : बिंदु
दूसरों को वही डराता है, जो स्वयं डरता है। प्रसन्नता अन्तःकरण की सहज स्वच्छता है। मुक्त वही है जो अपने धागों से बंधा हुआ है। भित्ति तैयार हो तो चित्र अपने आप बन जाता है।
अन्धकार को मिटाने का एक ही उपाय है और वह है जलना।
स्वार्थ सिद्धि का रहस्य है, स्वार्थ का विसर्जन।
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