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अनुभव का उत्पल
आत्म सत्य
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रस्सी का एक ही सिरा होता तो गांठ नहीं होती। मनुष्य अकेला ही होता तो द्वन्द्व नहीं होता। सिर पर एक ही बाल होता तो जटिलता नहीं होती। एक ही मस्तिष्क होता तो संघर्ष नहीं होते।
ये अलगाव, लड़ाइयां, उलझनें और चिनगारियां बहुता के परिणाम हैं। यह विश्वाकाश बहुता और एकता के चाँद सूरज से रुका हुआ है। यह हमारा सूर्य बहुता की अनभिव्यक्ति से एकता की स्पष्ट व्यंजना है। अमावस की रात एकता की अनभिव्यक्ति से बहुता की स्पष्ट व्यंजना
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है।
समय
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Armwara
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