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— अनुभव का उत्पल)
अनुभव का उत्पल
विरोध का परिणाम
विरोध से अप्रिय वातावरण ही नहीं बनता, उससे प्रिय परिस्थिति का निर्माण भी होता है। विरोध के समय जो संगठन होता है, वह साधारण स्थिति में नहीं होता।
अप्रिय परिस्थिति को एक बार सहना ही कठिन होता है। जो एक बार उसे सह लेता है उसके लिए वह अप्रिय नहीं होती।
विरोध मानसिक सन्तुलन की कसौटी है। विरोधी वातावरण को देख जो घबरा जाता है वह पराजित हो जाता है और जो उससे घबराता नहीं, वह उसे पराजित कर देता है।
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