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राजस्थानी चरित काव्य-परम्परा और आ० तुलसीकृत चरित काव्य
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आगत शब्द-उर्दू अरबी-फारसी क--माणक महिमा--जिन्दादिली, कब्जा, बगसीस, तखत, अबद,
फर्ज, अर्ज, कुदरत, अफवाह, फौज ख-डालिम चरित-तमासा फजीत, इकरार, गफलत, भानेदार ग-कालू यशोविलास ----अंदाज तजवीज, सफा, लवाजमा, खुलासा,
हकीकत, हाकम, हजूर घ-मगन चरित्र-खबर, मंजिल, मंजूर, दरमियान, रश्म
अंग्रेजी
क-माणक महिमा-गेट माइल, टाइम, डाक्टर ख-डालिम चरित्र -टेलीग्राम, मिनट, पोइंट, कैंसर ग----कालूयशोविलास-गजट, कौंसिल, कमेटी, मेम्बर, सेफ, पुलिस
कालेज, मिनिस्टर, पोस्टर, पेम्पलेट घ--मगन चरित्र----इनरजी, लीवर, रोड़, ट्रेन, इंजेक्शन (२) कहावतें एवं मुहावरें
काव्य में कहावतों एवं मुहावरों का प्रयोग कथावस्तु को गति देने तथा भाषा की अभिव्यंजना शक्ति में वृद्धि करने के लिये होता है। आचार्य श्री तुलसी ने अपने चरित काव्यों में इनका सटीक प्रयोग किया है। ये कहावतें एवं मुहावरे अधिकतर लोक प्रचलित हैं। कही-कहीं स्थानीय मुहावरों व कहावतों को भी काव्य में लिया गया है। इससे भाषा शैली सशक्त हुई है और कम शब्दों में अधिक बात कहकर भावों को कवि ने नया उन्मेष प्रदान किया है । नमूने के रूप में कुछ कहावतें व मुहावरें इस प्रकार हैंमाणक महिमा __ लोह चणां चबाणां (पृ० ४२)
....-आख्यां आगलै रै छायो घोर तमिस् (पृ० ४८) डालिम चरित्र
जल्यो दूध रो डरै छाछ सूं--(पृ० १९४)
सात हाथ की सोड़ नींबूलियो निचोड़ (पृ.१९२) कालू यशोविलास
---जलै गोहिरे रै पातक सूं पीपल रै लोय--(पृ० ७५) ----ऊंधे माथे क्यूं पड़े रे (पृ० २८१) अंबर टूट पड्यो रे (पृ०२८९) -~-आंख-कांन में आंतरो (पृ० २८१) पलक बिछायां बाट तक
(पृ० २९६)
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