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________________ राजस्थानी शब्द-सम्पदा को तेरापंथ का योगदान उम्हावो चातर-चतुर उलाहणो चितराम उल्लंठ--आग्रही चिरच्योड़ी-चर्चित ऊंडो-गहरा चौभंगी ऊजलो-उज्ज्वल जमारो-जन्म ऊणो-सं ऊन, न्यून जाण--पितवाण एकठ-संगठन जाझा-जाभ एड़छेड़-ओरछोर जोणी-योनि ओगाज-गर्जना झलकै ओघा--रजोहरण झेल्यो ओचाट-अस्थिरता, आतुरता टंकीज्यो ओपना-सुशोभित होना टाबर ओपरी छाया-भूतप्रेत का प्रभाव ठवकै भोसर मोसर-मृत्यु भोज डंकीज्यो ओहड़ा-उत्तर डावड़ो कच्छ कटना--जड़ मूल से उखाड़ना तरणाटो कजिया राड़---कदाग्रह, लड़ाई-झगड़ा तिवार-त्यौहार कटबी-निन्दात्मक धणियाप कड़ी-शृंखला नानड़ियो कन-निकट तो-निमंत्रण, न्यौता कबाड़ो-ढोंग पगोथ्यां कलपाना-व्यथित करना पधरास्यो कालजो-कलेजा, हृदय । पिसताबो-पछतावा-पश्चात्ताप कुचमादी-विज्ञान पुच्छाच्छोए कोड़ा-करोड़ों पूग ग्या---पहुंच गये कोर्योड़ी-कोरी हुई मूर्ति पेड्या-पैडियां-सीढ़ियां खिण-क्षण पो'र–प्रहर खीरा-अंगारे पोसाल खेड्यो फंफेर्यो गहलीज़ फूलघाणना-अस्थि विसर्जन करना गुलगुलाट फोसरो गैलो-गैल बखांण चन्नण--चन्दन बंजरबट्ट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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