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________________ तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान साता संवेदना संशी-ज्ञान वाला सह-अस्तित्व संधि सात सिखावत संयम संवर-संयम सातों व्यसन सामाचारी संसरण सामायक संसार सामायिक समकित सार सारणा-विवारणा समताधारी सावध प्रवृत्ति समता में रममाण सिंघाड़ो समता रस रंगी सिद्ध समनन स्थविर समन्वय स्याद्वाद समरस वृति स्व-पर-निर्माण समवर्तीपन स्वाति समवसरण स्वात्म-नियन्त्री समवसऱ्या स्वाध्याय । समाधि हार । समाधिमृत्यु तेरापंथी राजस्थानी साहित्य में, आधुनिक काल में प्रचलित हुए विशेष हिन्दी शब्दों का भी समावेश हो रहा है । ऐसे सहस्रों शब्द हैं । उदाहरण के लिए कुछ शब्द देखिये---निषेधाज्ञा, पलायनवाद, धूम्रपान (धूमपान) आदि । __उर्दू (अरबी, फारसी, तुर्की) की शब्द-राशि ग्रहण करके भी तेरापंथी काव्य ने राजस्थानी शब्द-सम्पदा में प्रभूत वृद्धि की है । तेरापंथी काव्य में प्रयुक्त उर्दू शब्दों में से कुछ नीचे दिये जा रहे हैं :अगर असली अजब आजाद अजमावो आदत अदल आदम अफसोस आफत अरमान आब असर आमद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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