SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजस्थानी शब्द-सम्पदा को तेरापंथ का योगदान १७ चिदानन्द देहरावासी-मूर्तिपूजक चिदानन्दमय जैनों का एक सम्प्रदाय चिन्मय देह व्युत्सर्ग, देह व्युत्सर्जन-- छन्द शव का विसर्जन जन्मान्तर-संस्कारी देही जप दोगुन्दक देव जय जिनेन्द्र द्रव्याथिक जिण-संकाशा-तीर्थंकर के समान धर्म-धारणा जिनधर्म धर्मध्वज जिनमत ध्यान जैनागम ध्यानी जोग- मुनिधर्म की दीक्षा नवबाड़-ब्रह्मचर्य रक्षा झाझा झोली के लिए निर्धारित नव सूत्रतथागत एकान्तस्थानसेवन, विकथातन्मय परिहार, एक आसन वर्जन, तपोबल दृष्टि-संयम, खाद्य-पेय-संयम, तात्कालिक भोजन-परित्याग, विभूषातामस परिवर्जन । तिर्यञ्च निज-अनुसंधान तीन तत्त्व निरंजन तीरथ-धर्मसंघः साधु, साध्वी, निरतिचारी श्रावक और श्राविका निरधंध तीर्थंकर निराकर कालिक निरुपाधिक थाणो–साधु-साध्वियों का स्थिरवास निर्ग्रन्थ दमीश्वर-दमनशील व्यक्तियों का निर्ग्रन्थता अगुआ। नियुक्तिकार दया निश्चय नय दिगम्बर नेवज-नैवेद्य, पूजा-सामग्री दुःख नर्माल्य-कूप दुरभिसंधि नोकार-नवकार मंत्र दुरितखपावो पंचभूत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy