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________________ १६ अहिंसा - अणुव्रत आत्म-आराधना आत्म- गुप्त आत्म-रमण आत्मलीन साधना आत्मस्थ आत्माराम आध्यात्मिक उल्लास अन्तर- - अनुसंधायी आन्तर- परिवर्तन आमिष आयम्बिल आर्जव आर्त- गवेषक आश्रव उत्पथ- पदन्यास उत्सर्ग उत्सर्पिणी उपाश्रय उपासरो उभयानुकम्पिता ऊर्ध्वारोहण एकात्म एषणा करपात्री करणी है भरणी कर्म-कटक सों युद्ध कर्मवाद कषाय कषाय - विसर्जन कामणगारी कायक्लेश कायिक ध्यान कायोत्सर्ग Jain Education International तेरापंथ का राजस्थानी को अवदान कायोत्सर्गधारी कायोत्सर्गी कृत करज केवलज्ञान केवल ज्योति केवलनाणी (केवलज्ञानी) केवल भुक्ति केवली केश- लोच क्षण-नश्वर क्षमा-श्रमण क्षयोपशम- चार घाति कर्मों की साक्षात् फलानुभूति का अभाव क्षीणावरणी खमतखामणा - क्षमा मांगना और देना खायक- क्षायक : सम्यक्त्व, सम्यक दृष्टिकोण जो कभी विपरीत नहीं होता । गणधर्म संघ गणी आचार्य गति गाथा - धर्मसंघ की कल्पित मुद्रा गुरु गुरु-चरण-शरण गोचरी करना ग्रंथि-भेदन चंड चउ विहार-चार प्रकार का भोजन खदिम और अन्न, स्वादिम | चरमोच्छव चराचर For Private & Personal Use Only पेय, www.jainelibrary.org
SR No.003137
Book TitleTerapanth ka Rajasthani ko Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnarayan Sharma, Others
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1993
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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